NEELAM GUPTA

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मेरे नजरियें से प्यार

मेरी बात के मायने दो, जो अच्छा लगे उसे अपना लो ,जो बुरा लगे उसे जाने दो।


कौन है आशिक ,किस का प्यार सच्चा ।

जानता शायद एक मासूम बच्चा। 

झूठे आशिकों की बात निराली ।

देते हैं झूठी आशाएं और देते-लेते है ,

जबरदस्ती मोहब्बत में झूठी कुर्बानी।


माँ- बेटे का रिश्ता सुहाना ।

जब तक बचपन माँ से ना कोई अच्छा ।

लेकिन जब आ जाए जिंदगी में दूसरा रिश्ता।

मां का स्थान भी हो जाए दूसरा।


प्यार दिल से होता है या दिमाग से,

यह किसको है पता। 

अब तक ,अभी भी हम अनजान हैं ।

कि किसी को क्या मशवरा दे ।

इस मोहब्बत मे काम आती है दुआ या दवा।


एक प्यार की खातिर अपने को,

खत्म करने चला था।

क्यों अपने माँ बाप के प्यार को भूल जाते हैं ।

जो उसने कभी ,उनसे किया था।


अनजान मोहब्बत, अपने को भी भूला देती हैं।

क्या गलत क्या सही, करने का होश नहीं रहता।

बदनाम गलियों में तक, बहका देती है।


किसी की जिंदगी को तरबतर कर जाते हैं ।

कैसी है यह मोहब्बत ,

किसी को जिंदगी किसी को मौत दे जाते हैं।


सच्ची मोहब्बत के सहारे ,क्या जिंदगी कट जाती है या केवल जिंदगी जीनी म़ाहौल हो जाती है।


माना ,तुम किसी और से, इतना प्यार करते हो। किसी और के लिए, किसी और को अपना न सकते हो।

लेकिन दोबारा कोशिश करके तो देखो क्या पता पहले से भी ज्यादा प्यार तुम्हें महसूस हो।


प्यार एक वहम् ,एक सम्मोहन है ।

बस इतना मैं कहना चाहती हूँ ।

जिंदगी खुशियों का नाम है उसमें ही बसर करो प्यार तो प्यार है चाहे देश से  मां बाप को चाहे पति पत्नी का चाहे बच्चे से, या अपने आप से।


इसलिए जिंदगी जियो जी भर न इसको खत्म करों।


बगिया मे रोज नयी बहारें आती है।

पुराने फूल मुरझाने से रौनके ए बहार खत्म नहीं होती।


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